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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
Goddess Tripura Sundari Devi, generally known as Shodashi or Lalita, is depicted having a rich iconography that symbolizes her a variety of attributes and powers. Her divine sort is frequently portrayed as a wonderful youthful girl, embodying the supreme magnificence and grace with the universe.
सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।
The Devas then prayed to her to destroy Bhandasura and restore Dharma. She is thought to get fought the mom of all battles with Bhandasura – some scholars are of your check out that Bhandasura took many kinds and Devi appeared in various sorts to annihilate him. Last but not least, she killed Bhandasura With all the Kameshwarastra.
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥
ह्रीङ्काराम्भोजभृङ्गी हयमुखविनुता हानिवृद्ध्यादिहीना
लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे
ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां
हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः
Often called the goddess of wisdom, Shodashi guides her devotees towards clarity, insight, and higher understanding. Chanting her mantra boosts instinct, encouraging men and women make smart choices and align with their inner truth of the matter. This profit nurtures a life of integrity and objective.
The philosophical dimensions of Tripura Sundari increase past her physical characteristics. She signifies the transformative power of elegance, which can guide the devotee with the darkness of ignorance to The sunshine of data and enlightenment.
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का more info विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।